
प्रस्तावना
भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर त्योहार केवल परंपरा ही नहीं बल्कि आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे ही महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है गणेश चतुर्थी, जिसे हम सब बड़े ही उत्साह और श्रद्धा से मनाते हैं। यह पर्व भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और पूरे देश में 10 दिनों तक घर-घर में बप्पा की आराधना होती है।
गणेश चतुर्थी का ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है। ज्योतिष शास्त्र में गणपति जी को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता माना गया है। यही कारण है कि हर शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से की जाती है।
गणेश चतुर्थी 2025 कब है?
सन 2025 में गणेश चतुर्थी का पावन पर्व गुरुवार, 28 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन से बाधाएँ दूर होती हैं।
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है।
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 27 अगस्त 2025, रात्रि 11:07 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त: 28 अगस्त 2025, रात्रि 08:33 बजे
- गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: 28 अगस्त 2025 को सुबह 11:00 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता कहा गया है। वे बुद्धि, ज्ञान, और सफलता के अधिपति हैं। मान्यता है कि इस दिन गणपति बप्पा की सच्चे मन से पूजा करने पर जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।
- व्यापार और करियर में सफलता: गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसलिए व्यापार और नौकरी में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए इस दिन विशेष पूजा का महत्व है।
- परिवार में सुख-शांति: गणेश जी की आराधना से परिवार में आपसी प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
- विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थी और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले इस दिन विशेष पूजा करें तो सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

गणेश चतुर्थी और ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गणेश जी का संबंध बुध ग्रह से है। बुध ग्रह बुद्धि, संवाद और व्यापार का कारक है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह अशुभ स्थिति में हो तो उसे निर्णय लेने में कठिनाई, व्यवसाय में रुकावटें और मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।
इस दिन गणेश जी की पूजा करने और विशेष मंत्रों का जाप करने से बुध दोष शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गणेश जी की पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें।
- गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा को लाल वस्त्र पर स्थापित करें।
- धूप, दीपक, फूल, दूर्वा (तीन पत्तों वाली घास) और मोदक अर्पित करें।
- मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का 108 बार जाप करें।
- अंत में आरती कर परिवार के साथ प्रसाद का वितरण करें।

गणपति बप्पा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से गणेश जी की रचना की और उन्हें द्वार पर पहरा देने के लिए खड़ा कर दिया। जब भगवान शिव आए तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर शिव जी ने उनका सिर काट दिया। माता पार्वती के दुख को देखकर शिव जी ने गणेश जी का सिर हाथी के बच्चे के सिर से जोड़ दिया और उन्हें विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता का आशीर्वाद दिया।
यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में आने वाली किसी भी समस्या का समाधान आस्था और धैर्य से किया जा सकता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता, ज्ञान और सफलता का मार्ग खोलता है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना गया है और विशेषकर उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर है।
यदि आप अपने जीवन में बाधाओं से परेशान हैं, करियर में रुकावट आ रही है या पारिवारिक समस्या का समाधान नहीं मिल रहा, तो इस गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा की पूजा अवश्य करें।
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