
प्रस्तावना
भारतीय संस्कृति और ज्योतिष शास्त्र में कर्म (Karma) को जीवन का मूल आधार माना गया है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे अवश्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि भाग्य बदलने का सबसे बड़ा साधन हमारा कर्म ही है।
आज हम समझेंगे –
- कर्म क्या है?
- कर्मों का फल कैसे मिलता है?
- एक कहानी – राजेश और अमन की।
- और अंत में – ज्योतिष शास्त्र किस प्रकार कर्म और ग्रहों का रहस्य बताता है।

कर्म क्या है?
कर्म का अर्थ है – हमारे विचार, शब्द और कार्य।
- जो हम सोचते हैं, कहते हैं और करते हैं – वही कर्म कहलाता है।
- कर्म तीन प्रकार के होते हैं –
- संचित कर्म – पिछले जन्मों के संचित कार्य, जिनका फल हमें इस जन्म में मिलता है।
- प्रारब्ध कर्म – वर्तमान जीवन में जो स्थितियाँ हमें मिली हैं (जन्म परिवार, स्वास्थ्य, भाग्य आदि)।
- क्रियमाण कर्म – जो हम अभी कर रहे हैं, जो भविष्य को प्रभावित करेंगे।
यानी हमारा वर्तमान और भविष्य दोनों कर्मों पर ही आधारित है।

कर्मों का फल कैसे मिलता है?
कहा गया है –
“जैसा करोगे वैसा भरोगे।”
- यदि आप अच्छे कर्म करते हैं – जैसे दया, सेवा, ईमानदारी, परिश्रम – तो जीवन में शांति, सम्मान और सुख मिलेगा।
- यदि आप बुरे कर्म करते हैं – जैसे धोखा, लालच, अहंकार, आलस्य – तो जीवन में कठिनाई, दुख और परेशानियाँ आएँगी।
ग्रह और नक्षत्र केवल माध्यम हैं, वे आपके कर्मों का हिसाब जीवन में वापस लाते हैं।
कहानी – राजेश और अमन
गाँव में दो दोस्त रहते थे – राजेश और अमन।
राजेश के कर्म
राजेश हमेशा आलसी और स्वार्थी था।
- वह दूसरों का हक मार लेता।
- झूठ बोलकर अपना फायदा करता।
- माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान नहीं करता।
- उसका जीवन केवल भौतिक सुखों और शॉर्टकट्स तक सीमित था।
धीरे-धीरे लोग उससे दूर हो गए। उसकी सेहत बिगड़ी और आर्थिक संकट भी आ गया।
अमन के कर्म
अमन मेहनती और दयालु था।
- वह हर ज़रूरतमंद की मदद करता।
- सच बोलता और सबका सम्मान करता।
- गाँव में जब कोई मुसीबत आती, अमन सबसे पहले खड़ा होता।
- उसका विश्वास था – “कर्म ही हमारी असली पूजा है।”
समय के साथ अमन को सम्मान, धन और खुशहाल परिवार मिला।
ज्योतिष और कर्म का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार –
- शनि और राहु बुरे कर्म करने वालों को कठिनाइयाँ और दुख देते हैं।
- गुरु (बृहस्पति) अच्छे कर्म करने वालों को ज्ञान, धन और मार्गदर्शन देते हैं।
- चंद्रमा मन का प्रतीक है – बुरे विचार मन को अशांत करते हैं, जबकि सत्कर्म मन को शांति देते हैं।
जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति आपके पिछले और वर्तमान कर्मों का प्रतिबिंब होती है।
कहानी का निष्कर्ष
वर्षों बाद जब राजेश और अमन मिले, तो राजेश ने पूछा –
“मुझे हमेशा दुख ही क्यों मिलता है, जबकि तुम्हारा जीवन सुखमय है?”
अमन ने मुस्कुराते हुए कहा –
“यह कर्मों का ही फल है मित्र। अच्छे कर्म जीवन को रोशन करते हैं और बुरे कर्म अंधकार लाते हैं।”
ज्योतिष परामर्श क्यों ज़रूरी है?
हर व्यक्ति के जीवन में अलग-अलग परिस्थितियाँ आती हैं। कई बार हम मेहनत करते हैं पर सफलता नहीं मिलती। इसका कारण ग्रहों की स्थिति और पिछले कर्म होते हैं।
👉 ज्योतिष परामर्श (Astrology Consultancy) से आप जान सकते हैं:
- आपके जीवन की समस्याओं की जड़ कौन सा ग्रह है।
- कौन से उपाय आपके लिए लाभकारी हैं।
- कौन से कर्म आपके भविष्य को बेहतर बना सकते हैं।
निष्कर्ष और आमंत्रण
कर्म क्या है? – कर्म ही जीवन की दिशा है।
कर्मों का फल क्या है? – जो जैसा करेगा, वैसा पाएगा।
यदि आप भी अपने कर्मों और ग्रहों का रहस्य जानना चाहते हैं और जीवन की कठिनाइयों का समाधान पाना चाहते हैं, तो आज ही परामर्श लें।
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आपका भाग्य आपके कर्मों और ग्रहों पर निर्भर है। सही समय पर सही मार्गदर्शन आपका भविष्य बदल सकता है